Singer(s): Kishore Kumar
Lyricist: Majrooh Sultanpuri
रात काली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे, आँख तुम ही से चार हुई
चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत, चाहे हनसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझको खबर नहीं, हो सके तुम ही बता दो
तुम ने कदम तो रखा ज़मीन पर सिने में क्यों झणकार हुई
आँखों में काजल और लातों में काली घटा का बसेरा
सावली सूरत मोहनी मूरत, सावन रुत का सवेरा
जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है, दुनिया मेरी गुलजार हुई
यूँ तो हसीनों के, माहजबिनों के होते हैं रोज नज़ारे
पर उन्हें देख के देखा है जब तुम्हें, तुम लगे और भी प्यारे