जिहाल-ए-मस्ती, मकुन-ब-रन्जिश Zihal-e-masti Lyrics | Gulami Movie



Singers : Lata Mangeshkar, Shabbir Kumar
Lyrics: Gulzar

जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश,
बहाल-ए-हिज्र बेचारा दिल है

सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है

वो आके पहलू में ऐसे बैठे
के शाम रंगीन हो गई है (३)
ज़रा ज़रा सी खिली तबीयत
ज़रा सी ग़मगीन हो गई है




(कभी कभी शाम ऐसे ढलती है
के जैसे घूँघट उतर रहा है ) - २
तुम्हारे सीने से उठ था धुआँ
हमारे दिल से गुज़र रहा है

जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश,
बहाल-ए-हिज्र बेचारा दिल है

सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है

ये शर्म है या हया है क्या है
नजर उठाते ही झुक गयी है
तुम्हारी पलकों से गिरके शबनम
हमारी आँखों में रुक गयी है

जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश,
बहाल-ए-हिज्र बेचारा दिल है

सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है 
Nitin Gupta

This is my blog for sharing my travel experiences with friends.

Post a Comment

Previous Post Next Post