Singer: कविता कृष्णमूर्ति
Lyrics: जावेद अख़्तर
कहता है मेरा ये दिल पिया
कोई है, कोई है ही नहीं
काया है तू, छाया हूँ मैं
तू न हो तो मैं भी नहीं
तू न हो तो मैं भी नहीं
चूड़ी जो खनके तो कहते हैं खन-खन
घुँघरू जो खनके तो कहते हैं छन-छन
खन-खन हो, या फिर छन-छन हो
मतलब इनका है जब तक हों दो
मैं भी हूँ तब तक, जब तक तुम हो
जो सच है, वो तुम मान ही लो
धिनक धिनक धिन...
सुबह के पल या शाम के दम
दिन तो सारा एक ही है
दो आँखों से देखें हम
फिर भी नज़ारा एक ही है
दिल हैं दो लेकिन सनम
प्यार की धारा एक ही है
कहता है मेरा...
सुनी कहानी है ये पुरानी
हंसों का राजा, हंसों की रानी
फ़िरते हैं एक संग हर पल ही
नैन में जब एक नीर भर आए
जुड़वा आँख भी नीर बहाए
प्यार की हो, मन में जल-थल भी
धिनक धिनक धिन...
कहने को दो जिस्म सही
लेकिन बस एक जान हैं हम
कहने को हम दो सपने हैं
लेकिन इक अरमान हैं हम
इतना प्यार हुआ कैसे
सोच के ख़ुद हैरान हैं हम
कहता है मेरा---