Lyrics : साहिर लुधियानवी
Singers: Md.Rafi, Asha Bhosle
रात भर का है मेहमाँ अँधेरा
किस के रोके रुका है सवेरा
रात भर का है...
आ कोई मिल के तदबीर सोचें
सुख के सपनों की ताबीर सोचें
जो तेरा है वो ही ग़म है मेरा
किस के रोके रुका है सवेरा
रात भर का है...
रात जितनी भी संगीन होगी
सुबह उतनी ही रंगीन होगी
ग़म न कर गर है बादल घनेरा
किस के रोके रुका है सवेरा
रात भर का है...